विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में आगे विकास के लिए चीन के साथ प्रभावी सहयोग की आवश्यकता है। इसलिए टैरिफ को लेकर रस्साकशी करने की बजाय व्हाइट हाउस अब बीजिंग के साथ साझेदारी की दिशा में प्रयास करना चाहता है। मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिका में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सफल प्रगति चीन के साथ कुशल सहयोग पर निर्भर है। यह तो स्पष्ट है!
बैंक के विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता के बाद टैरिफ को लेकर तनाव कुछ हद तक कम हुआ है, लेकिन इसके बावजूद अमेरिका की फिजिकल AI में दीर्घकालिक महत्वाकांक्षाएं अकेले संभव नहीं हैं। मॉर्गन स्टैनली ने कहा कि चीन वर्तमान में AI विकास के क्षेत्र में एक "ईर्षणीय स्थिति" में है। बैंक का कहना है, “अगर हमें अमेरिकी निर्माण कंपनियों और चीन के बीच और भी सहयोग देखने को मिले, जिसमें अमेरिकी ज़मीन पर चीनी तकनीक का उपयोग हो, तो हमें आश्चर्य नहीं होगा।”
इस सहयोग को विकसित करने में टेस्ला को एक संभावित अग्रणी खिलाड़ी के रूप में देखा जा रहा है। मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों का यह भी मानना है कि अमेरिकी उपभोक्ता उच्च गुणवत्ता वाली चीनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग करेंगे।
बैंक का मानना है कि आने वाले पांच वर्षों में चीन की भागीदारी के बिना AI से जुड़ा उत्पादन अमेरिका में वापस लाना “बेहद मुश्किल” होगा। “प्रतिस्पर्धा का मतलब जरूरी नहीं कि अलगाव हो,” मॉर्गन स्टैनली का कहना है। बैंक यह भी रेखांकित करता है कि देशों के बीच प्रतिद्वंद्विता औद्योगिक साझेदारियों के साथ भी चल सकती है।
जहां तक व्यापारिक तनाव का सवाल है, विश्लेषकों को संदेह है कि टैरिफ लंबे समय तक केंद्र में बने रहेंगे। उनका अनुमान है कि 2025 के अंत तक AI और डिजिटल सेक्टर से जुड़ी “अधिक आवश्यक और रणनीतिक विषय-वस्तुएं” मुख्य केंद्र बन जाएंगी।
*The market analysis posted here is meant to increase your awareness, but not to give instructions to make a trade.